उन्होंने बताया, “2015 तक भारत का संपूर्ण अवसादी शैल क्षेत्र खोज के अंतर्गत ले लिया जाएगा।
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अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा मौलिक चट्टनों के विघटन, वियोजन और टूटने से परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के परिणामस्वरुप उनके अवसादों से निर्मित शैल को अवसादी शैल (
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इसी तरह अवसादी शैल जैसे बलुआ चट्टानें, भी हमें यही ज्ञान देती हैं क्योंकि उनमें भी रेत तथा खनिज परत पर परत जमा होते हैं जो वार्षिक तथा मौसम तथा दैनिक परिवर्तन अंकित कर लेते हैं।
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अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा मौलिक चट्टनों के विघटन, वियोजन और टूटने से परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के परिणामस्वरुप उनके अवसादों से निर्मित शैल को अवसादी शैल (sedimentary rock) कहा जाता हैं ।